साधु भाई जग सपना री बाजी,
चेत सके तो चेत बावरा,
घंटी लारली बाजी,
ओ मन मेरा जग सपने री बाजी।।
सपने रंक राजा होय बैठो,
घर घोड़ा घर ताजी,
बतीस भोजन थाल सोवना,
भात भात री भाजी,
ओ मन मेरा जग सपने री बाजी।।
सपने बाँझ पुत्र एक जायो,
मंगल गायो राजी,
जाग पड़ी जब हुई निपूती,
होया ऊदासी माझी,
ओ मन मेरा जग सपने री बाजी।।
वेद पुराण भागवत गीता,
थक गए पंडित काजी,
ऐसा मर्द गर्द में माटी मे मिलगा,
लंका पती सा पाजी,
ओ मन मेरा जग सपने री बाजी।।
रजू में सरप सीप ज्यू मोती,
ज्यू जग मीथ्या बाजी,
कहे कबीर सुनो भाई सन्तो,
राम बजिया सु राजी,
ओ मन मेरा जग सपने री बाजी।।
साधु भाई जग सपना री बाजी,
चेत सके तो चेत बावरा,
घंटी लारली बाजी,
ओ मन मेरा जग सपने री बाजी।।
स्वर – रामनिवास राव जी।
प्रेषक – संतोष महाराज पुष्करणा।
बहुत सुन्दर भजन वाणी