साधु भई मैं ज्ञान बताऊँ पूरा,
अरे जोग जुगत रे मुक्त समझावु,
जोग जुगत रे मुक्त समझावु,
अरे मन को करू रे मंजूरा संतो भई,
मै ग्यान बतावु पूरा हा।।
अरे पाँच तत्व मिल मंडप रचीया,
पाँच तत्व मिल मंडप रचीया,
करे प्रकृति जूरा हा,
माया महल बन खप जावे,
माया रा महल बन खप जावे,
ए पुरूष प्रकृति से दूरा रे संतो भई,
मै ग्यान बतावु पूरा हा।
ए ना समझे सो दूर बतावे,
समझीया वो है उरा,
अरे न समझे सो दूर बतावे,
समझीया वो है उरा हा,
अरे साचो भेद वेद मे नाही,
साचो भेद वेद मे नाही,
वे चारो वेद मंजूरा संतो भई,
मै ग्यान बतावु पूरा हा।।
ओ केवल आप ओर नही दूजा,
आपो आप हजूरा हा,
अरे केवल आप ओर नही दूजा,
आपो आप हजूरा,
अरे ओरो मे आप आप मे ओर नही,
ओरो मे आप आप मे ओर नही,
ये समझना जरूरा रे संतो भई,
मै ग्यान बतावु पूरा हा।।
अरे आपा मिटीया अनुभव उर में,
आप निरखीया नूरा,
अरे आपा मिटीया अनुभव उर में,
आप निरखीया नूरा,
अरे निरखीया थके नजर नही आवे,
निरखीया थके नजर नही आवे,
अरे सोय नूर भई भूरा संतो भई,
मै ग्यान बतावु पूरा हा।।
साधु भई मैं ज्ञान बताऊँ पूरा,
अरे जोग जुगत रे मुक्त समझावु,
जोग जुगत रे मुक्त समझावु,
अरे मन को करू रे मंजूरा संतो भई,
मै ग्यान बतावु पूरा हा।।
गायक – संत कन्हैयालाल जी।
प्रेषक – मनीष सीरवी
9640557818