सहे तो सहे कैसे दुःख इतने,
कहे तो कहे किससे गम अपने,
सहे तो सहे कैसे दुःख इतने।।
तर्ज – जियें तो जियें कैसे।
आखरी है दर तेरा,
सोचके मैं आयीं हूँ,
दुःख दर्द के सिवा,
कुछ भी ना लाई हूँ,
असुवन की केवल लगी है झड़ी,
सर पर मुसीबत पड़ी है बड़ी,
सहें तो सहें कैसे दुःख इतने,
कहे तो कहे किससे गम अपने,
सहे तो सहे कैसे दुःख इतने।।
किया था भरोसा मैंने,
तेरी दुनिया दारी पे,
हसता है हर कोई,
मेरी लाचारी पे,
गिरते हुए को और गिराया,
खेल जगत का समझ ना आया,
सहें तो सहें कैसे दुःख इतने,
कहे तो कहे किससे गम अपने,
सहे तो सहे कैसे दुःख इतने।।
कहते है लोग तुझे,
हारे का सहारा है,
नजरे उठाके देखो,
श्याम भी हारा है,
अब फैसला तुम ही करो,
ठुकरा दो या फिर बाहों में भरो,
सहें तो सहें कैसे दुःख इतने,
कहे तो कहे किससे गम अपने,
सहे तो सहे कैसे दुःख इतने।।
सहे तो सहे कैसे दुःख इतने,
कहे तो कहे किससे गम अपने,
सहे तो सहे कैसे दुःख इतने।।
स्वर – गिन्नी कौर जी।