साँई ये नाव फँसी धारा,
कोई नही चारा,
आ के बचालो आ के बचालो,
बाबा बड़ा दूर है किनारा,
कोई न सहारा,
आ के बचालो आ के बचालो।।
तर्ज – गोरी तेरा गाँव बड़ा प्यारा।
टूटी फूटी नाव है मेरी,
तेज बहत है धारा,
कैसे ये उस पार लगे जब,
हो न खैवन हारा-२,
एक तू ही है सहारा,
बाबा अब हमारा,
आ के बचालो,
आ के बचालो,
साँई ये नाव फसी धारा,
कोई नही चारा,
आ के बचालो आ के बचालो।।
आँधी तूफाँ बहुत चलत है,
नैया इत उत डोले,
तू ही सहारा है दीनो का,
ऐसा जग ये बोले,
मेरी भी नैया पार करदे,
विपदा ये हर ले,
साँई बचालो आ के बचालो,
साँई ये नाव फसी धारा,
कोई नही चारा,
आ के बचालो आ के बचालो।।
पीछे जाऊँ तो घोर अँधेरा,
आगे भँवर बड़ी है,
सोच सोच कर मन घबराए,
सामने मौत खड़ी है,
साँई ये दास शरण तेरी,
लाज रखो मेरी,
आ के बचालो आ के बचालो,
साँई ये नाव फसी धारा,
कोई नही चारा,
आ के बचालो आ के बचालो।।
साँई ये नाव फँसी धारा,
कोई नही चारा,
आ के बचालो आ के बचालो,
बाबा बड़ा दूर है किनारा,
कोई न सहारा,
आ के बचालो आ के बचालो।।
– भजन लेखक एवं प्रेषक –
श्री शिवनारायण वर्मा,
मोबा.न.8818932923
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