सखी सपने में राते,
मिल गए सांवरिया,
नींद खुली बिछुड़न हो गए।।
जिन अखियन,
अखियां तरस गई,
उन अखियन से,
मिल गई है राते नजरिया,
नींद खुली बिछुड़न हो गए।।
सखी अखियन में,
अब तक झूल रहे,
मोरे दिल में,
बना गए वे प्रेम नगरिया,
नींद खुली बिछुड़न हो गए।।
सखी सपने को हाल,
सुन साचो,
राते ले लई है,
प्रीतम ने मोरी खबरिया,
नींद खुली बिछुड़न हो गए।।
पीके कौन जतन,
हरी आन मिले,
हरी के लाने सजाई है,
सुंदर सिजरिया।
नींद खुली बिछड़न हो गए।।
सखी सपने में राते,
मिल गए सांवरिया,
नींद खुली बिछुड़न हो गए।।
Singer – Rajani Bharati
प्रेषक – दुर्गा प्रसाद पटेल।
९७१३३१५८७३