अंजनी के लाला,
हरियो विघन सब दूर,
सालासर वाला,
हरियो विघन सब दूर।।
सालासर थारो भवन बिराजे,
झालर शंख नगाड़ा बाजे,
नित उठ थारे नोबत बाजे,
चढ रहियो घीरत सिंदूर,
अंजनी के लाला,
हरियो विघन सब दूर।।
तुम बजरंगी हो रण मंडन,
मोटे पांव बड़े भुज डंडन,
दुष्ट मार के कर दिया खंडन,
कर दिया चकनाचूर,
अंजनी के लाला,
हरियो विघन सब दूर।।
रामचन्द्र के सार दिया काजा,
समन्दर ऊपर बांध दिया पाजा,
रावण सरिसा मार दिया राजा,
मुख पर बरसे नूर,
अंजनी के लाला,
हरियो विघन सब दूर।।
हनुमत ने संसार मनावे,
जिनका बेड़ा बाबो पार लगावे,
बद्रीलाल बिरामण गावे,
देवो विद्या भरपूर,
अंजनी के लाला,
हरियो विघन सब दूर।।
अंजनी के लाला,
हरियो विघन सब दूर,
सालासर वाला,
हरियो विघन सब दूर।।
गायक – रामनिवास जी राव।
प्रेषक – सुभाष सारस्वा काकड़ा।
9024909170