सालासर वाला रे ओ अंजनी रा लाला रे,
ज़पु थारी माली रे सालासर वाला रे,
पैदल आवे रे ओ दर्शन पावे रे जे।
बिगड़ा तू तो काज बनावे,
सालासर वाला रे,
दूर दूर से आवे थारे जात्रो।
भोग लगावे रे जडूला चढ़ावे रे,
भोग लगावे रे दर्शन पावे रे,
सालासर वाला रे ओ अंजनी लाला रे,
ज़पु थारी माली रे सालासर वाला रे।
सूरज स्वामी देवरो थारी,
ध्वजा फरूखे आसमान रे,
झाझ ने नगाड़ा बाजे द्वार रे।
चूरमो लावे रे ओ भोग लगावे रे,
चूरमो लावे रे ओ सिंदूर चढ़ावे रे,
सालासर वाला रे ओ अंजनी रा लाला रे,
ज़पु थारी माली रे सालासर वाला रे।
सालासर वाला रे ओ अंजनी रा लाला रे,
ज़पु थारी माली रे सालासर वाला रे,
पैदल आवे रे ओ दर्शन पावे रे जे।
“भजन नवरतन जी पारीक द्वारा प्रेषित”