समझों ये पापा की परीया,
और सभी कुछ कर लिज्यो,
माँ बापा की आख्या माई,
आसुडा थे मत दिज्यो।।
जी दन जन्मी थे बाबुल घर,
लक्ष्मी बन कर आई थी,
बाज्या खुसी का थाल घरा में,
मोटी खुसिया छाई थी,
हरसाया चैहरा घरका का,
थे तो कुमला मत दिज्यो,
माँ बापा की आख्या माई,
आसुडा थे मत दिज्यो।।
बड़ी हुई पडबा ने मेली,
उचो नाम कमाबा ने,
पडती पडती गेलो भटकी,
लागी लोग हसाबा ने,
माँ बापा पर काई बिते,
थोडो ध्यान रख लिज्यो,
माँ बापा की आख्या माई,
आसुडा थे मत दिज्यो।।
पहली खुसिया थाकि राखो,
घर को कायदो मत भुलो,
दुनिया की ई चमक दमक में,
अदर जुल में मत जुलो,
बिगड्या ने भी थे ही सुधारों,
सिख बड़ा की थे लिज्यो,
माँ बापा की आख्या माई,
आसुडा थे मत दिज्यो।।
हो मात पिता दुश्मन नहीं थारा,
आछ्यो रिस्तों वे करसी,
सासरीया से आछी खबर की,
सदा आस घर का करसी,
हो ‘मालुणी’ मायत की शिक्षा,
ले फुलों फलती रिज्यो,
माँ बापा की आख्या माई,
आसुडा थे मत दिज्यो।।
समझों ये पापा की परीया,
और सभी कुछ कर लिज्यो,
माँ बापा की आख्या माई,
आसुडा थे मत दिज्यो।।
गायक – देव शर्मा।
8290376657