सामला बाड़ा में म्हारी,
गाया रे पडी रे,
म्हारी गाया ने चरावा,
कुण जासी रे,
म्हारी गाया ने चरावा,
कुण जासी रे,
म्हारा देवर जी ने कहिजो,
घर आजा जो रे,
थेतो फागन का महीना मे,
घर आजा जो।।
सामली साल म्हारी,
गठ्ठी रे पडी रे,
म्हारी गठ्ठी रे घमन को,
कुण देसी,
म्हारी गठ्ठी रे घमन को,
कुण देसी,
म्हारा देवर जी ने कहिजो,
घर आजा जो रे,
थेतो फागन का महीना मे,
घर आजा जो।।
सामली पोल्या मे म्हारो,
ढलीयो पालनो,
छोरी ने हिण्डो कुण देसी,
म्हारी राजल ने,
हिण्डो कुण देसी रे,
म्हारा देवर जी ने कहिजो,
घर आजा जो रे,
थेतो फागन का महीना मे,
घर आजा जो।।
सामला बाड़ा मे म्हारा,
बदलीयाँ है बंधीया,
बदलीयाँ ने पानी,
कुण देसी,
म्हारा बदलीयाँ ने पानी,
कुण देसी,
म्हारा देवर जी ने कहिजो,
घर आजा जो रे,
थेतो फागन का महीना मे,
घर आजा जो।।
सामली पोल्या मे म्हारा,
सुसरोजी बैठा,
म्हारा सुसरा ने हुको,
कुण देसी,
म्हारा सुसरा ने हुको,
कुण देसी,
म्हारा देवर जी ने कहिजो,
घर आजा जो रे,
थेतो फागन का महीना मे,
घर आजा जो।।
सामली गवाडी म्हारी,
घोडीया रे बंधी रे,
म्हारी घोडीया ने दानो,
कुण देसी,
म्हारी घोडीया ने दानो,
कुण देसी,
म्हारा देवर जी ने कहिजो,
घर आजा जो रे,
थेतो फागन का महीना मे,
घर आजा जो।।
आतुनो खेत में परणीये,
हल खडे रे,
म्हारा परणीया ने भातो,
कुण देसी,
म्हारा परणीया ने भातो,
कुण देसी,
म्हारा देवर जी ने कहिजो,
घर आजा जो रे,
थेतो फागन का महीना मे,
घर आजा जो।।
सामली हवेली एक,
छोरी रे खडी़ रे,
इन छोरी ने इशारा,
कुण करसी रे,
इन छोरी ने इशारा,
कुण करसी,
म्हारा देवर जी ने कहिजो,
घर आजा जो रे,
थेतो फागन का महीना मे,
घर आजा जो।।
सामली हवेली छोरी,
रपट पडी रे,
इन छोरी ने उठावा,
कुण जासी रे,
इन छोरी ने उठावा,
कुण जासी रे,
म्हारा देवर जी ने कहिजो,
घर आजा जो रे,
थेतो फागन का महीना मे,
घर आजा जो।।
आंगन में ऊबी भाभी,
रपट पडी रे,
म्हारा देवर जी ने कहिजो,
आकर कर दो खडी.
म्हारा देवर जी ने कहिजो,
आकर कर दो खड़ी रे,
म्हारा देवर जी ने कहिजो,
घर आजा जो रे,
थेतो फागन का महीना मे,
घर आजा जो।।
चूरमो जीमावु देवर,
दूध मे नहावु,
म्हारा देवरिया ने देवरानी,
परणाय लावु,
म्हारा देवरिया ने देवरानी,
परणाय लावु रे,
म्हारा देवर जी ने कहिजो,
घर आजा जो रे,
थेतो फागन का महीना मे,
घर आजा जो।।
सामला बाड़ा में म्हारी,
गाया रे पडी रे,
म्हारी गाया ने चरावा,
कुण जासी रे,
म्हारी गाया ने चरावा,
कुण जासी रे,
म्हारा देवर जी ने कहिजो,
घर आजा जो रे,
थेतो फागन का महीना मे,
घर आजा जो।।
स्वर – दुर्गा जसराज।
प्रेषक – मनीष सीरवी।
(रायपुर जिला पाली राजस्थान)
9640557818