समलो तो नर बेगा रे समझो,
अबे समजवा में सार है,
नही समलोला तो गोता खावोला,
पचे तो जीवनोई बेकार हे ओ जी।।
अरे ध्रुव प्रहलाद भई राजा भरत री,
जाका जग मे अमर नाम है,
गुरुजी ने मलगी असल फकीरी,
कोई प्रहलादजी ने राज हेवो जी ओजी।।
अरे धना भगत जिने रोई दासजी,
भगती कमाई भरपुर है,
हिरा पना की खेती निपजाई,
एक वना फल के पाट मे ओ जी।।
अरे मीरा रे बाई ओर करमा बाई,
भगती कमाई भरपुर है,
एक समाई मूर्ति मे,
दूजी खिचड़ो खिलायो है ओ जी।।
ए है अरे पदम गुरु परवाणि ओ मिलिया,
लाडू जी सेन बताई है,
गुजर गरीबी कनीराम जी बोले,
आवेलो कालजुग यो भरपुर है ओ जी।।
समलो तो नर बेगा रे समझो,
अबे समजवा में सार है,
नही समलोला तो गोता खावोला,
पचे तो जीवनोई बेकार हे ओ जी।।
गायक – पूरण जी गुर्जर।
प्रेषक – शम्भू कुमावत दौलतपुरा।
9981101560