सांची सांची बोल सांवरा,
म्हारे घरा कदे आवेगों,
पलक बिछाया बैठयाँ मैं तो,
पलक बिछाया बैठयाँ मैं तो,
कदसु दर्श दिखावेगो,
साँची साँची बोल सांवरा,
म्हारे घरा कदे आवेगों।।
तर्ज – मैं हूँ तेरा नौकर बाबा।
मिलवा की, म्हारे मन में आवे,
लीले चढ़ कर आजाओ,
टाबरिया, मनुहार करे है,
प्यारी सुरतिया दिलखलाओ,
म्हे तो उडीका, बाट तिहारी,
कितनो तू तरसावेगो,
साँची साँची बोल सांवरा,
म्हारे घरा कदे आवेगों।।
खाटू तो, मैं आता जाता,
दर्शन तेरा पावा जी,
म्हारी कुटिया, में सांवरिया,
तेरा चरण म्हे चावा जी,
आवेगो तू, फेर तो म्हाने,
चरणा सु लिपटावेगो,
साँची साँची बोल सांवरा,
म्हारे घरा कदे आवेगों।।
आंख्या माहि, आंसुड़ा भी,
थारो रस्तो देख रह्या,
थे आवो तो, ख़ुशी में आंसू,
ढल जावे म्हे सोच रह्या,
इब तो बाबा, मान ले कहनो,
कितनो नखरो दिखावेगो,
साँची साँची बोल सांवरा,
म्हारे घरा कदे आवेगों।।
थारो म्हारो, गठजोड़ो है,
‘गौतम’ थारो चाकर जी,
‘चोखानी’, केवे म्हारे सिर पे,
हाथ फेरो आकर जी,
आणो जाणो, करले बाबा,
के तेरो घट जावेगो,
साँची साँची बोल सांवरा,
म्हारे घरा कदे आवेगों।।
सांची सांची बोल सांवरा,
म्हारे घरा कदे आवेगों,
पलक बिछाया बैठयाँ मैं तो,
पलक बिछाया बैठयाँ मैं तो,
कदसु दर्श दिखावेगो,
साँची साँची बोल सांवरा,
म्हारे घरा कदे आवेगों।।
स्वर – गौतम राठौर।
लेखक – प्रमोद जी चोखानी।