संकल्प हो हमारा,
दोहा – सबै हमारे एक हैं,
जो सुमिरे हरी नाम,
वस्तु लही पिछाण के,
बासण से क्या काम।
संकल्प हो हमारा,
इंसान हम बनेंगे,
इंसान बन गए तो,
भगवान से मिलेंगे।।
हम एक ही गगन के,
चमके हुए सितारे,
लगते कितने प्यारे,
हंसते रहे हंसेगे,
संकल्प हों हमारा,
इंसान हम बनेंगे।।
हम एक ही चमन के,
फुल न्यारे न्यारे,
लगते हैं कितने प्यारे,
खिलते रहे खिलेंगे,
संकल्प हों हमारा,
इंसान हम बनेंगे।।
हो बौध्द जैन मुस्लिम,
हिंदू हो या इसाई,
आपस में भाई-भाई,
सब के गले मिलेंगे,
संकल्प हों हमारा,
इंसान हम बनेंगे।।
मंदिर तो एक ही है,
दीपक है न्यारे न्यारे,
लगते कितने प्यारे,
जलते रहे जलेंगे,
संकल्प हों हमारा,
इंसान हम बनेंगे।।
बीजक कुरान आगम,
गुरुगम और कृष्ण गीता,
इंसानियत की गाथा,
हम प्रेम से पड़ेंगे,
संकल्प हों हमारा,
इंसान हम बनेंगे।।
संकल्प हों हमारा,
इंसान हम बनेंगे,
इंसान बन गए तो,
भगवान से मिलेंगे।।
गायक – प्रहलाद सिंह जी टिपानिया।
प्रेषक – राधेश्याम खांट
8120141128