सांसा री डोरी म्हारे,
दोहा – माला फेरत जुग भया,
पर गया ना मन का फेर,
कर का मनका डार दे,
मन का मनका फेर।
सांसा री डोरी म्हारे,
मनडे री माला,
माला रो मणियों म्हारे,
मन में फिरे।।
घट में गंगा घट में है जमुना,
बाहर न्हावन रे खातिर,
तू क्यों फिरे,
माला रो मणियों म्हारे,
मन में फिरे।।
घट में चंदा घट में है सूरज,
बाहर दर्शन रे खातिर,
तू क्यों फिरे,
माला रो मणियों म्हारे,
मन में फिरे।।
कहत कबीर सुनो भई साधो,
अरे घट ही के माहि,
थारे अमिया चरे,
माला रो मणियों म्हारे,
मन में फिरे।।
साँसा री डोरी म्हारे,
मनडे री माला,
माला रो मणियों म्हारे,
मन में फिरे।।
Singer – Avtar saini
8209801123