संत ने हंस गत एक है,
करे निज मोतीयो रो आहार,
अवल वचन री आखड़ी,
ऐसा ऐसा है स्वभाव,
एड़े मते जग मो चालनो,
भवजल उतरो पार,
साचोड़े मते जग मो हालनो।।
चाल चकोर री चालनों,
करणों अग्नि रो आहार,
सुरता लगी ज्यारी राम से,
दाजत नही लिगार,
साचोड़े मते जग मो हालनो,
भवजल उतरो पार।।
अनड़ पंखेरू आकाश बसे,
धरणी नी मेले पांव,
पांख पवन में पसार रहा,
ऐसा रेवे निरेधार,
एड़े मते जग मो हालनो,
भवजल उतरो पार।।
पपियो प्यासी नीर को,
नित पीवण की आस,
पड़यो पानी वो नही पीए,
अधर बूंद की आस,
एड़े मते जग मो हालनो,
भवजल उतरो पार।।
कस्तूरी मृग नाभ बसे,
ज्यौरा करो विचार,
आरेक प्रेम रस पीवनो,
सोभा है निजसार,
एड़े मते जग मो हालनो,
भवजल उतरो पार।।
आपो आप रा सोज लो,
सही नाम नो संभाल,
संत शरणे गुमनो भने,
निज नाम रो आधार,
एड़े मते जग मो हालनो,
भवजल उतरो पार।।
संत ने हंस गत एक है,
करे निज मोतीयो रो आहार,
अवल वचन री आखड़ी,
ऐसा ऐसा है स्वभाव,
एड़े मते जग मो चालनो,
भवजल उतरो पार,
साचोड़े मते जग मो हालनो।।
Singer – Vikram Barmeri
Mobile – 8302031687
https://youtu.be/xoP7KJmVL9U