गुरासा बिना रे मारी,
काया दुख पावे,
अरे घोर रे अन्धारो गुरू बिन,
कुण मिटावे रे,
अरे संतो संगत माने,
नित नित भावे रे,
ए भाग भला रे जटे संत आवे रे,
अरे संतो री संगत माने,
नित नित भावे रे।।
ए संतो रा शब्द मारा,
हिरदा मे लागा,
ए संतो रा शब्द मारा,
हिरदा मे लागा,
अरे कोड रे पाप काया रा,
मार्ग लागा,
अरे कोड रे पाप काया रा,
मार्ग लागा,
अरे संतो संगत माने,
नित नित भावे रे,
ए भाग भला रे जटे संत आवे रे,
अरे संतो री संगत माने,
नित नित भावे रे।।
ए अडसठ तिर्थ मारा,
गुरासा रे शरने रे,
अरे अडसठ तिर्थ मारा,
गुरासा रे शरने रे,
अरे गंगाजी जावु रे,
जमुना हामु आवे,
अरे गंगाजी जावु रे,
जमुना हामी आवे ए,
अरे संतो संगत माने,
नित नित भावे रे,
ए भाग भला रे जटे संत आवे रे,
अरे संतो री संगत माने,
नित नित भावे रे।।
अरे चार सखी मंगल गावे रे,
अरे चार सखी मंगल गावे रे,
अरे गुरा रो बधावो बाई,
मीरा गावे,
अरे गुरा रो बधावो बाई,
मीरा गावे ए,
अरे संतो संगत माने,
नित नित भावे रे,
ए भाग भला रे जटे संत आवे रे,
अरे संतो री संगत माने,
नित नित भावे रे।।
गुरासा बिना रे मारी,
काया दुख पावे,
अरे घोर रे अन्धारो गुरू बिन,
कुण मिटावे रे,
अरे संतो संगत माने,
नित नित भावे रे,
ए भाग भला रे जटे संत आवे रे,
अरे संतो री संगत माने,
नित नित भावे रे।।
गायक – संत कन्हैयालाल जी।
प्रेषक – मनीष सीरवी
9640557818
बहुत अछा लगा इसमे गुरु महिमा का वर्णन है