संत श्री रतनगिरी जी महाराज की महिमा,
दोहा – सती नार शूरा जणे,
बढ़ भागण दातार,
लक्ष्मी तो संत जणे,
ऐ तीनों ही सार।
सिंवरू शारद माय,
निवण कर गुरु मनाऊं,
रख्यावल में जाय,
गुरूजी ने शीश निवाऊं,
महिमा जग में भारी,
म्हारा रतन गिरी जी महाराज,
गुरु पूनम रौ मेलो लागे,
चालो रख्यावल माय,
गुरु जी री सांची महिमा।।
गाँव घासा में मांगू,
महाराज रा पुत्र कहिजे,
माता तोली बाई रा,
गुरु जी लाल कहिजे,
भंवरी बाई रा वीर भारती,
रतन गिरी जी महाराज,
गुरु पूनम रौ मेलो लागे,
चालो रख्यावल माय,
गुरु जी री सांची महिमा।।
सत्यनारायण भगवान री,
गुरु सेवा साजे,
शिव शंकर भोलेनाथ जी,
ये संग में बिराजे,
धाम आपरो सोवणों म्हारा,
रतन गिरी जी महाराज,
गुरु पूनम रौ मेलो लागे,
चालो रख्यावल माय,
गुरु जी री सांची महिमा।।
गाँव खंडेल में जन्म लियो,
गुरु रतन गिरी जी,
गोत्र सिसोदिया कहिजे,
दाता रतन गिरी जी,
बाली उम्र में भगति कीनी,
रतन गिरी जी महाराज,
गुरु पूनम रौ मेलो लागे,
चालो रख्यावल माय,
गुरु जी री सांची महिमा।।
रविगिरी जी हरिद्वार दस,
नम जूना अखाड़ा,
मांगू महाराज रा रतन गिरी जी,
रे सतगुरु दाता,
लीन होया भगति में म्हारा,
रतन गिरी जी महाराज,
गुरु पूनम रौ मेलो लागे,
चालो रख्यावल माय,
गुरु जी री सांची महिमा।।
गणेश गिरी लोहार,
आपरी महिमा गावे,
गणेश लोहार आसु धुँवाला,
संग में गावे,
ओम नारायण नव युवक,
मंडल शरणे आवे,
घणी घणी खम्मा आपने,
रतन गिरी जी महाराज,
गुरु पूनम रौ मेलो लागे,
चालो रख्यावल माय,
गुरु जी री सांची महिमा।।
गायक / लेखक – गणेश गिरी लोहार व आसू लोहार।
9783614205
प्रेषक – रामेश्वर लाल पँवार।
आकाशवाणी सिंगर।
9785126052