संता की सेवा करज्यो ये,
घर कि सुन्दर नार।
दोहा – सतगुरू आया है सखी,
काई मनवार करा,
चोक पुरावु गज मोतिया,
मैं चंदन तिलक करा।
संता की सेवा करज्यो ये,
घर कि सुन्दर नार,
घर कि सुन्दर नार सुरता,
घर कि सुन्दर नार।।
संता पधारिया पांवणा जी,
जाजम दिज्यो ढाल,
सात सखिया मिलकर,
थे गावो मंगला चार।।
खिर खाढरा अरमत भोजन,
जल्दी करो तैयार,
भाव रूपी ढोलो बायरो,
कर कर मन प्यार।।
माधु सिंह जी कोप करयो जद,
बाजेली तलवार,
जिवाला तो फेर मिलाला,
सायब के दरबार।।
संत उबारण त्यारण कारण,
लेलिनो अवतार,
सेन भक्त का सासा मेटिया,
नाय बणो करतार।।
संता की सेवा करजो ये,
घर कि सुन्दर नार,
घर कि सुन्दर नार सुरता,
घर कि सुन्दर नार।।
गायक – मनोहर परसोया किशनगढ।