संतो का समागम भक्तो को,
चौपाई – मुद मंगलमय संत समाजू।
जो जग जंगम तीरथराजू।।
संतो का समागम भक्तो को,
तीरथ से भी बढकर होता है,
संतो की मधुर वाणी सुनने,
भगवान भी हाजिर होता है।।
सत्संग कथाएँ सुनने को,
प्रेमी दूर दूर से आते है,
जिस भाव से जो भी सुनता है,
जिस भाव से जो भी सुनता है,
वैसा ही मुकद्दर होता है,
संतो की मधुर वाणी सुनने,
भगवान भी हाजिर होता है।bd।
सत्संग ना किया विषयों में फिरा,
जीवन को कुसंगत बिता ही दिया,
जब ज्ञान ना उपजा ह्रदय में,
जब ज्ञान ना उपजा ह्रदय में,
क्या कान फुका कर होता है,
संतो की मधुर वाणी सुनने,
भगवान भी हाजिर होता है।bd।
तीरथ का मजा तीरथ वाले,
तीरथ में ही जाकर लेते है,
तीरथ का मजा गुरु चरणों में,
तीरथ का मजा गुरु चरणों में,
इस सर को झुका कर होता है,
संतो की मधुर वाणी सुनने,
भगवान भी हाजिर होता है।bd।
असमंजस में क्यों पड़े हो तुम,
सच्चे सतगुरु को पहचानो,
जब सूर्य उदय हो जाता है,
जब सूर्य उदय हो जाता है,
जग का अंधकार तब मिटता है,
संतो की मधुर वाणी सुनने,
भगवान भी हाजिर होता है।bd।
क्यों डरते हो ऐ जग वालों,
एक बार शरण में आ जाओ,
हरि नाम समझकर सुमिरन से,
हरि नाम समझकर सुमिरन से,
भव पार यह जीवन होता है,
संतो की मधुर वाणी सुनने,
भगवान भी हाजिर होता है।bd।
संतो का समागम भक्तों को,
तीरथ से भी बढकर होता है,
संतो की मधुर वाणी सुनने,
भगवान भी हाजिर होता है।।
स्वर – गोपाल भाई।
मानव उत्थान सेवा समिति।
ग्वालियर (मध्य प्रदेश)
देखे – हमें प्रभु से मिलाने को।