सांवरा अटकी नावड़ी ने तारो,
म्हारो तो धजाबन्द कुछ कोनी बिगड़े,
लाजेलो बिरद तुम्हारो,
साँवरा अटकी नावड़ी ने तारो।।
सूरिया कुमारी का भांडा खड़किया,
मायले री सोच विचारों,
मनजारी का बाबा बच्चा उबारिया,
अगन जाल सू मारो।
साँवरा अटकी नावड़ी ने तारो।।
राजा हरिचन्द राणी तारादे,
बिक गया बीच बाजारों,
कँवर रोहितास ने विषधर ड्सगयो,
लियो भगतो को लारो।
साँवरा अटकी नावड़ी ने तारो।।
राजा मोरध्वज राणी पद्मावती,
हाथ करोतो धारो,
रतन कँवर ने चीरण लाग्या,
कर दियो न्यारो न्यारो।
साँवरा अटकी नावड़ी ने तारो।।
हरि का भगत हरि ने मनावे,
के जाणे मूर्ख गिवारो,
देव सी जी माळी बाबा अरज गुजारे,
ओले राख उबारो।
साँवरा अटकी नावड़ी ने तारो।।
सांवरा अटकी नावड़ी ने तारो,
म्हारो तो धजाबन्द कुछ कोनी बिगड़े,
लाजेलो बिरद तुम्हारो,
साँवरा अटकी नावड़ी ने तारो।।
प्रेषक – रामेश्वर लाल पँवार।
आकाशवाणी सिंगर।
9785126052