सांवरे की महफ़िल को,
सांवरा सजाता है,
किस्मत वालो के,
घर में श्याम आता हैं।।
तर्ज – आदमी मुसाफिर है।
गहरा हो नाता बाबा का जिनसे,
मिलने को बाबा आता है उनसे,
उनका वो साथी बन जाता है,
साँवरे की महफ़िल को,
सांवरा सजाता है,
किस्मत वालो के,
घर में श्याम आता हैं।।
कृपा बरसती है जिसपे इसकी,
तक़दीर लिखता हाथो से उसकी,
गम का अंधेरा छट जाता है,
साँवरे की महफ़िल को,
सांवरा सजाता है,
किस्मत वालो के,
घर में श्याम आता हैं।।
भजन सुनाते जो इसको प्यारे,
उसके तो परिवार के वारे न्यारे,
मंदिर सा घर बन जाता है,
साँवरे की महफ़िल को,
सांवरा सजाता है,
किस्मत वालो के,
घर में श्याम आता हैं।।
कुछ भी असंभव होता नही है,
महफ़िल में इसकी होता यही है,
सब कुछ ‘सुनील’ यहाँ मिल जाता है,
साँवरे की महफ़िल को,
सांवरा सजाता है,
किस्मत वालो के,
घर में श्याम आता हैं।।
सांवरे की महफ़िल को,
सांवरा सजाता है,
किस्मत वालो के,
घर में श्याम आता हैं।।
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Jai baba kib