बस संवरने की चाह मुझको इतनी रहे,
सांवरे की नज़र में सँवरता रहूं,
जितनी किरपा की मुझपे मेरे श्याम ने,
शुक्रिया मैं भी वैसे ही करता रहूं।।
सांवरे की पड़ी जबसे मुझपे नज़र,
अपने हाथो से जीवन सजाया मेरा,
मेरे इस दिल में जितने भी अरमान थे,
हर एक सपना हकीकत बनाया मेरा,
एक छोटी सी ख्वाहिश यही अब मेरी,
इनकी चौखट ना छूटे मैं जब तक जियूं,
जितनी किरपा की मुझपे मेरे श्याम ने,
शुक्रिया मैं भी वैसे ही करता रहूं,
बस संवरने की चाह मुझको इतनी रहे।।
दुनियादारी की मुझको समझ थी नहीं,
मेरे अपने ढहाते थे मुझपे सितम,
सोच करके ही रूह काँप जाती मेरी,
हमने देखे हैं अपनों के ऐसे करम,
ऐसी हालत में बीते थे मेरे वो दिन,
लब हैं खामोश आँखों से मैं सब कहूं,
जितनी किरपा की मुझपे मेरे श्याम ने,
शुक्रिया मैं भी वैसे ही करता रहूं,
बस संवरने की चाह मुझको इतनी रहे।।
जिसके लायक भी ना था मिला वो मुझे,
तीनो लोकों का स्वामी मिला है मुझे,
दुःख के आने की आहट भी होती अगर,
गोद में ये उठाकर है चलता मुझे,
कोई करता नहीं जितना इसने किया,
इतने एहसान ‘मोहित’ मैं क्या क्या कहूं,
जितनी किरपा की मुझपे मेरे श्याम ने,
शुक्रिया मैं भी वैसे ही करता रहूं,
बस संवरने की चाह मुझको इतनी रहे।।
बस संवरने की चाह मुझको इतनी रहे,
सांवरे की नज़र में सँवरता रहूं,
जितनी किरपा की मुझपे मेरे श्याम ने,
शुक्रिया मैं भी वैसे ही करता रहूं।।
Singer – Hari Sharma Ji