सांवरे क़िस्मत का मारा,
आपके चरणों में है,
ये दीन दुखिया बेसहारा,
आपके चरणों में है,
साँवरे क़िस्मत का मारा,
आपके चरणों में है।।
ना मैं चाहूं महल अटारी,
ना स्वर्ग का राज ही,
स्वर्ग सा सुंदर नजारा,
आपके चरणों में है,
साँवरे क़िस्मत का मारा,
आपके चरणों में है।।
हारे का जग में सहारा,
सदा सुना तू श्याम है,
आज ये बालक तुम्हारा,
आपके चरणों में है,
साँवरे क़िस्मत का मारा,
आपके चरणों में है।।
कभी सुना ना दर पे तेरे,
देर और अंधेर है,
फिर ये क्यूं जहान सारा,
आपके चरणों में है,
साँवरे क़िस्मत का मारा,
आपके चरणों में है।।
जिंदगी दो दिन की बाकी,
क्यूं “जालान” शिकवा करे,
ये बैठकर मैंने विचारा,
आपके चरणों में है,
साँवरे क़िस्मत का मारा,
आपके चरणों में है।।
सांवरे क़िस्मत का मारा,
आपके चरणों में है,
ये दीन दुखिया बेसहारा,
आपके चरणों में है,
साँवरे क़िस्मत का मारा,
आपके चरणों में है।।
– भजन रचयिता –
पवन जालान जी।
94160-59499 भिवानी (हरियाणा)