सांवरे सलोने से,
जबसे मेरी प्रीत हो गई,
हारा हुआ था मैं,
अब तो मेरी जीत हो गई।।
तर्ज – तेरे मेरे होंठो पे मीठे।
फागुण में पहली बार,
हाथ में निशान ले गया,
उस दिन से सांवरिया,
हम पे मेहरबान हो गया,
ज़िंदगी से दूर सारी,
मेरी तकलीफ हो गई,
हारा हुआ था मैं,
अब तो मेरी जीत हो गई।
साँवरे सलोने से,
जबसे मेरी प्रीत हो गई,
हारा हुआ था मैं,
अब तो मेरी जीत हो गई।।
जिस दिन किया कीर्तन,
घर में अपने पहली बार,
श्याम के संग मिला,
हमको नया परिवार,
भजनों की ये दुनिया,
मेरी मन मीत हो गई,
हारा हुआ था मैं,
अब तो मेरी जीत हो गई।
साँवरे सलोने से,
जबसे मेरी प्रीत हो गई,
हारा हुआ था मैं,
अब तो मेरी जीत हो गई।।
जिस दिन से भजनो को,
श्याम तेरे गाने लगा,
उस दिन से सपनो में,
श्याम मेरे आने लगा,
सुर ताल से सज के,
जिंदगी संगीत हो गई,
हारा हुआ था मैं,
अब तो मेरी जीत हो गई।
साँवरे सलोने से,
जबसे मेरी प्रीत हो गई,
हारा हुआ था मैं,
अब तो मेरी जीत हो गई।।
सांवरे सलोने से,
जबसे मेरी प्रीत हो गई,
हारा हुआ था मैं,
अब तो मेरी जीत हो गई।।
स्वर – मुकेश बागड़ा जी।
प्रेषक – रविकांत मिश्रा (नई दिल्ली)।