साँवरे सलोने तेरे नैन कजरारे,
इनमें ना जाने कहीं,
खो गया है मेरा दिल,
मोर मुकुट माथे पर जैसे,
चमके चाँद सितारे,
जबसे निहारा तेरा,
हो गया है मेरा दिल।।
तर्ज – सांवरी सलोनी तेरी झील।
मुख पे चन्दन महक रहा है,
अधर पे मुरली सोहे,
रूप तुम्हारा ओ सांवरिया,
भक्तो का मन मोहे,
मोरछड़ी हाथों में तुमने,
सबके काज सँवारे,
नज़र लगे ना बाबा,
गाल पे लगा दो काला तिल।
सांवले सलोने तेरे नैन कजरारे,
इनमें ना जाने कहीं,
खो गया है मेरा दिल।।
किस बगियाँ से फूल मँगाए,
सबके मन को भाए,
कजरो पर है इत्तर छिड़का,
मंदिर को महकाए,
चंवर ढुलाए सेवक प्यारे,
सुन्दर लगे नज़ारे,
तेरा प्यार पाकर लगता,
मिल गई मुझे मंज़िल।
सांवले सलोने तेरे नैन कजरारे,
इनमें ना जाने कहीं,
खो गया है मेरा दिल।।
माथे ऊपर छत्र छाया,
कान में कुण्डल साजे,
श्याम नाम का डंका गूंजे,
घर घर श्याम विराजे,
नाम रटें ‘अविनाश’ तुम्हारा,
जबतक चलें ये साँसे,
‘सोनी’ जब शरण में आया,
मिल ही गया साहिल।
सांवले सलोने तेरे नैन कजरारे,
इनमें ना जाने कहीं,
खो गया है मेरा दिल।।
साँवरे सलोने तेरे नैन कजरारे,
इनमें ना जाने कहीं,
खो गया है मेरा दिल,
मोर मुकुट माथे पर जैसे,
चमके चाँद सितारे,
जबसे निहारा तेरा,
हो गया है मेरा दिल।।
स्वर – अविनाश शर्मा।