सांवलिया सेठ के,
श्री चरणों में,
अर्जी लगाने आया हूँ,
झुकती है सारी,
दुनिया जहां पर,
मैं भी सर झुकाने आया हूं।।
तर्ज – पर्बत के पीछे।
सबको पता है खाटू सा,
दरबार नही दूजा,
इसीलिये कलयुग में घर-घर,
होती है पूजा,
इस दुनिया में बाबा सा,
दातार नही दूजा,
मनके भावों को,
दिल के घावों को,
मरहम लगवाने आया हूं,
अर्जी लगाने आया हूँ।।
इनका वचन है इनका भगत,
परेशान नही होगा,
इज्जत शोहरत सब होगी,
अभिमान नही होगा,
इनकी कृपा से बढ़कर कोई,
वरदान नही होगा,
किस्मत की रेखा,
कर्मों का लेखा,
मैं भी बदलवाने आया हूं,
अर्जी लगाने आया हूँ।।
खाटू की ग्यारस जैसा,
त्योंहार नही देखा,
भक्तों का यहां आना कभी,
बेकार नही देखा,
‘अम्बरीष’ कहै इस दर पे कभी,
इनकार नही देखा,
किरपा ये तेरी किस्मत में मेरी,
मैं भी लिखवाने आया हूँ,
अर्जी लगाने आया हूँ।।
सांवलिया सेठ के,
श्री चरणों में,
अर्जी लगाने आया हूँ,
झुकती है सारी,
दुनिया जहां पर,
मैं भी सर झुकाने आया हूं।।
Singer – Sudarshan Kumar
Lyrics – Ambrish Kumar Mumbai
9327754497