सांवरिया थारी प्रीत में,
बैरागन हो गई रे।
दोहा – मैं दीवानी श्याम की,
श्याम मोरे सिरमौर,
रोम रोम में बस रयो,
म्हारे नन्द किशोर।
लत लागी थारी गिरधारी,
तन मन की सुध खो दी सारी,
सांवरिया मने थारे आगे,
यो जग सारो फीको लागे
दुनिया सारी भूल भुला के,
जोगन हो गई रे,
सांवरिया थारी प्रीत में,
बैरागन हो गई रे।।
थारो नाम लिखूं मैं हरदम,
थारो ही मैं बाचूं,
थारे आगे मैं सांवरिया,
बाँध घूंघरा नाचूं,
मैं मीरा थारे गिरधारी,
अर्पण हो गई रे,
साँवरिया थारी प्रीत में,
बैरागन हो गई रे।।
मैं हूँ प्रेम दीवानी मीरा,
म्हारो प्रेम क़बूलो,
म्हारी नैया पार लगाओ,
श्याम मने मत भूलो,
फूलों में ढूंढूं,
चाहेकलियों में,
सांवरिया सांवरिया,
पुकारूँ गलियों में।।
पियो ज़हर को प्यालो लेकर,
नाम सांवरा थारो,
थारे ही कारण नन्दलाला,
जनम सुधरयो म्हारो,
मैं भवपार सांवरा थारे,
कारण हो गई रे,
साँवरिया थारी प्रीत में,
बैरागन हो गई रे।।
लत लागी थारी गिरधारी,
तन मन की सुध खो दी सारी,
सांवरिया मने थारे आगे,
यो जग सारो फीको लागे
दुनिया सारी भूल भुला के,
जोगन हो गई रे,
साँवरिया थारी प्रीत में,
बैरागन हो गई रे।।