सारे पल में कट ज्या संकट,
हो ज्या म्हारे ठाठ रै,
चाल जाटणी खाटु चालां,
क्यां की देखै बाट रै।।
बाबा बैठ्या बाट देख रह्या,
हो ज्यागी फैर भीड़ रै,
आज कह दियो श्याम नै सारी,
उठै मिलेगी छीड रै,
सांवरिया नै सोच लिया तो,
बण ज्या छोरा लाट रै,
चाल जाटणी खाटु चालां,
क्यां की देखै बाट रै।।
बार बार कोठे में बड़ के,
देर करे क्यूं बावली,
दो रोटडी सेक ले बैरण,
रस्ते खातर तावली,
मिल ज्यागा रींगस का अध्धा,
छोड़ रजाई खाट रै,
चाल जाटणी खाटु चालां,
क्यां की देखै बाट रै।।
पिछले साल धरी थी ठाकै,
अर्जी अपणै छोरे की,
उसै नेे ही ढुंढ रही सुं,
सुनले श्याम निगोड़े की,
आज श्याम ने नहीं सुनी तो,
कै हौवे फैर जाट रै,
चाल जाटणी खाटु चालां,
क्यां की देखै बाट रै।।
किस नै म्हारी सुनी सै प्यारी,
इब तो यो ऐ सहारा सै,
देख लिया जग झाड़ पोंछ के,
श्याम ही लागे प्यारा सै,
“गुरु तंवर” के चरण तो “जालान”,
लागै “गंग” के घाट रै,
चाल जाटणी खाटु चालां,
क्यां की देखै बाट रै।।
सारे पल में कट ज्या संकट,
हो ज्या म्हारे ठाठ रै,
चाल जाटणी खाटु चालां,
क्यां की देखै बाट रै।।
– भजन लेखक व गायक –
पवन जालान 9416059499
भिवानी (हरियाणा)