सतगुरू मिल्या संशय टलिया,
हुआ जगत से न्यारा।
दोहा – नमस्कार गुरू देव ने,
नमस्कार सब संत,
नमस्कार परब्रम्ह ने,
नमस्कार जीव जंत।
सतगुरू मिल्या संशय टलिया,
हुआ जगत से न्यारा,
रेता जगत न्यारा हो निस दिन,
जाने गुरूमुखी प्यारा ओ संतो,
सतगुरू अपरम्पारा,
कोई जोणे न जोणे हारा,
ओ वीरा म्हारा,
सतगुरू अपरम्पारा।।
चार देवो री खबरो पाई,
निरजन ईणसु न्यारा,
अलख धणी मे सत सत जाण्या,
हमे जाण है निरधारा संतो,
सतगुरू अपरम्पारा,
कोई जोणे न जोणे हारा,
ओ वीरा म्हारा,
सतगुरू अपरम्पारा।।
निराकार निरंजन देवा,
जोणे हरी रा प्यारा,
जीव शिव ने एक घर लावे,
उतरे भवजल पारा संतो,
सतगुरू अपरम्पारा,
कोई जोणे न जोणे हारा,
ओ वीरा म्हारा,
सतगुरू अपरम्पारा।।
भुला जीव भटक मर जावे,
पावे नही रे किनारा,
गुरू प्रताप भुल हटावे,
लागे गुरूजी म्हाने प्यारा संतो,
सतगुरू अपरम्पारा,
कोई जोणे न जोणे हारा,
ओ वीरा म्हारा,
सतगुरू अपरम्पारा।।
सतगुरू मिलिया संशय टलिया,
हुआ जगत से न्यारा,
रेता जगत न्यारा हो निस दिन,
जाने गुरूमुखी प्यारा ओ संतो,
सतगुरू अपरम्पारा,
कोई जोणे न जोणे हारा,
ओ वीरा म्हारा,
सतगुरू अपरम्पारा।।
गायक – सुरेश जी लोहार।
प्रेषक – पुखराज पटेल बांटा
9784417723