सतगुरू प्यारे,
विनती सुनलो आनन्दकँद,
ओ मेरे सच्चिदानन्द,
लेलो मुझको अपनी शरण, हो..
सतगुरू प्यारे।।
तर्ज – बाबुल प्यारे।
न चाहूँ मै मोक्ष या मुक्ती,
न कोई पद या प्रतिष्ठा,
हर जीवन मे बनी रहे प्रभू,
तेरे चरणो मे निष्ठा,
विनती सुनलो आनंदकँद,
ओ मेरे सच्चिदानन्द,
ले लो मुझको अपनी शरण, हो…
सतगुरू प्यारे।।
ना चाहूँ मे ध्रुव कहलाना,
न प्रहलाद कहाऊँ,
ये भी न चाहूँ कि बनूँ सुदामा,
सेवक बनना चाहूँ,
विनती सुनलो आनंदकँद,
ओ मेरे सच्चिदानन्द,
ले लो मुझको अपनी शरण, हो…
सतगुरू प्यारे।।
मै मूरख अज्ञानी सतगुरू,
कैसे तुमको पाऊँ,
अन्जान नगर देखी न डगर प्रभू,
कैसे तुम तक आऊँ,
विनती सुनलो आनंदकँद,
ओ मेरे सच्चिदानन्द,
ले लो मुझको अपनी शरण, हो…
सतगुरू प्यारे।।
सतगुरू प्यारे,
विनती सुनलो आनन्दकँद,
ओ मेरे सच्चिदानन्द,
लेलो मुझको अपनी शरण, हो..
सतगुरू प्यारे।।
– भजन लेखक एवं प्रेषक –
शिवनारायण वर्मा,
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