फर्क नहीं पड़ता अब चाहे,
दुनिया मेरे खिलाफ है,
सिर्फ अकेला नहीं मैं जग में,
सांवरिया मेरे साथ है,
सिर्फ अकेला नहीं मैं जग में,
साँवरिया मेरे साथ है।।
तर्ज – क्या मिलिए ऐसे लोगों से।
श्याम प्रभु ने ऊँगली पकड़ी,
कुछ ऐसे अन्दाज से,
दौड़ पड़ी जीवन की गाड़ी,
शानौ शौकत नाज से,
जलते रहे खिलाफत वाले,
सिर पे इनका हाथ है,
सिर्फ अकेला नहीं मैं जग में,
साँवरिया मेरे साथ है।।
कोई दे सकता ना इतना,
जितना सांवरिया देता,
दुनिया तो देकर है लेती,
ये देकर भी ना लेता,
हारे के साथ ने बख्शी,
मुझको ये सौगात है,
सिर्फ अकेला नहीं मैं जग में,
साँवरिया मेरे साथ है।।
दुःख का खरीदार ना कोई,
‘हर्ष’ समझ लेना प्यारे,
पैसों से भी सुख के बंदे,
फूट सके ना फव्वारे,
दुःख को मिटाना सुखमय बनाना,
इनके बस की बात है,
सिर्फ अकेला नहीं मैं जग में,
साँवरिया मेरे साथ है।।
फर्क नहीं पड़ता अब चाहे,
दुनिया मेरे खिलाफ है,
सिर्फ अकेला नहीं मैं जग में,
सांवरिया मेरे साथ है,
सिर्फ अकेला नहीं मैं जग में,
साँवरिया मेरे साथ है।।
Singer – Keshav & Saurabh Madhukar