सांवरिया थे तो,
सिंगोली बिराजो म्हारा श्याम,
पर्वत बीच था कि झांकी,
प्यारी लागे म्हारा श्याम।।
चारभुजा चिंता हरण,
मारो दुखड़ा मेटे हजार,
गाज सुनी गजराज की,
मारी भी सुनो दातार,
साँवरिया थे तो,
सिंगोली बिराजो म्हारा श्याम।।
ऊंची पेड़ी म्हारा श्याम की,
मासू चड़ियों ना उतरयो जाए,
जाकर कहीजो मारा श्याम से,
मारी बांह पकड़ ले जाए,
साँवरिया थे तो,
सिंगोली बिराजो म्हारा श्याम।।
वह बदला वह बावड़ी,
ध्वजा उडती धार,
दुखिया ने सुखिया करें,
मारा सिंगोली रा श्याम,
साँवरिया थे तो,
सिंगोली बिराजो म्हारा श्याम।।
रूस गयो मारो सगो भाई,
रूस गयो परिवार,
थे मत रूसो म्हारा सांवरा,
मारे था को है आधार,
साँवरिया थे तो,
सिंगोली बिराजो म्हारा श्याम।।
सांवरिया थे तो,
सिंगोली बिराजो म्हारा श्याम,
पर्वत बीच था कि झांकी,
प्यारी लागे म्हारा श्याम।।
ये भी देखें – कानूड़ो नी जाणे म्हारी प्रीत।
गायक – शांतिलाल जी टिटोडा।
प्रेषक – विनोद वैष्णव।
9414240116