सेन भगत घर संत पधारिया,
जठ मिलिया दोनो नर नारी,
चरण खोल चरणामृत लीनो,
हिरदा में हेत हुआ भारी,
मीणधारी जाकी ममता न डोले,
समझिया ने सांसों हैं नाही।।
कहे सेनजी सुनो स्त्री,
रसोई बनाओ सन्तां ताई,
तुम कामण सेवा में रेवों,
मैं जाउं राजा ताईं।।
कहे स्त्री सुनो सेनजी,
सेवा करां आपां नर नारी,
राजा रुठे तो नगर राखसी,
सन्त रुठा ठोड़ा नांई।।
आधी रात पोर को तड़को,
आप बणियो है हरि नांही,
हरि का हाथ लगा सिर उपर,
देह करदी कंचन सारी।।
उठ प्रभात राव राजा बोल्या,
राते बारी ही किण री,
उण भगत ने बेग बुलाओ,
मैं तूटू देउं कांई।।
जाय हलकारो हेलो मारियो,
सेन भगत घर है कांई,
थने बुलावे सेना राजा,
रावले राजा थने देवे कांई।।
हाथ जोड कर बोल्या सेनजी,
कृपा करो गुरु मा ताई,
जीवता रिया ता आय मिलूला,
नहीं तो मिलाला दरगाह मांही।।
राम राम कर बोल्या सन्तजन,
धीरज राखो सेना मन मांही,
के तो राजा भली विचारे,
नितो या माकाली देह है थां ताई।।
कैवे सेनजी सुनो राजाजी,
कहो राजा कारज कांई,
हीड़ो चाकरी भेग भुलाओ,
सन्त कलपे मारे घर मांही।।
केवे राजाजी सुनो सेनजी,
मांगो सो हाजिर होई,
राज पाट सेना थारे द्वारे,
दाल बाटियो दो मा तांई।।
केवे सेनजी सुनो राजाजी,
मैं मांगू थारे है नांही,
मैं मांगू राजा अटल अविनाशी,
तू राजा देवे कांई।।
ले नारेल चरणा में धरियो,
आज्ञा करो गुरु मा तांई,
कहे ‘सेनजी’ भगत भवतारण,
जुगा जुगा रो मारो सांचो।।
सेन भगत घर संत पधारिया,
जठ मिलिया दोनो नर नारी,
चरण खोल चरणामृत लीनो,
हिरदा में हेत हुआ भारी,
मीणधारी जाकी ममता न डोले,
समझिया ने सांसों हैं नाही।।
गायक – अनिल सेन।
प्रेषक – सुभाष सारस्वा काकड़ा।
नोखा बीकानेर, 9024909170