शंकर भोले भंडारी,
तुम जन जन के हितकारी,
तुम जन जन के हितकारी,
तुम जन जन के हितकारी,
शंकर भोलें भंडारी,
तुम जन जन के हितकारी।।
गंगा की धार जटाओं में,
माथे पर चंद्र कलाओं में,
माला सर्पों की डारी,
तुम जन जन के हितकारी,
शंकर भोलें भंडारी,
तुम जन जन के हितकारी।bd।
जब सागर मंथन होने लगा,
तब काल कूट विष था निकला,
बन गई मुसीबत भारी,
तुम जन जन के हितकारी,
शंकर भोलें भंडारी,
तुम जन जन के हितकारी।bd।
देवों की करुण पुकार हुई,
कैलाशपति के द्वार हुई,
सुन भए विकल त्रिपुरारी,
तुम जन जन के हितकारी,
शंकर भोलें भंडारी,
तुम जन जन के हितकारी।bd।
डम डम डम डमरु बाज उठा,
अमृत देवों को दान दिया,
शिव ऐसे परउपकारी,
तुम जन जन के हितकारी,
शंकर भोलें भंडारी,
तुम जन जन के हितकारी।bd।
शंकर भोले भंडारी,
तुम जन जन के हितकारी,
तुम जन जन के हितकारी,
तुम जन जन के हितकारी,
शंकर भोलें भंडारी,
तुम जन जन के हितकारी।।
Singer – Gaurav Krishna Goswami Ji
Upload – Manmohan Sahu
6268046938