शांतिनाथ जी शिव अवतारी,
दोहा – सिरे मन्दिर गढ़ सोवनो,
जटे अलख समाधियाँ रो धाम,
गुरू गोरक्ष शिव आदेश से,
श्री गुरू बन आए शांतिनाथ।
शांतिनाथ जी शिव अवतारी,
जालोरी में पत्थर तिरे,
पीर नाथजी पर उपकारी,
जग जालोरी निवन करे,
वरणी न जाय म्हारी नाथजी री शोभा,
ए चारो खुट दुवाएं फिरे ओ जी ओ जी।।
ए हे आप गुरासा अंतरयामी,
भंवर गुफा रे माय भगती करे,
आप गुरासा अंतरयामी,
भंवर गुफा रे माय भगती करे,
शिव रे नाम री किनी सुमरना,
अरे नव नाथो री किरपा भरे ओ जी।।
ए हे चितरनी सतवंती धरती,
भले भगती आप करे,
अरे सतवंती संतो री धरती,
ओ बाग सितरा आसन धरे,
इन धरती गुरू अलख जगायो,
ए राजा प्रजा निवन करे ओ जी।।
ए हे सिरे मन्दिर गढ़ राज करायो,
अरे भेरू अखाडे धूप करे,
कनीया घर मे राज करायो,
अरे शिव नाम री गूंज पडे,
गाँव गाँव में किनो चौमासो,
अरे भगता रो कल्याण करे ओ जी।।
ए हे अरे आप पीरजी शिव मे समाया,
भगता री आँखीया नीर पडे,
अलख समाधि आसन पूर्यो,
ओगट धूप सब निवन करे,
लिखे जोरावर श्याम ओ गावे,
ए भगत आपरा मनन करे ओ जी।।
शान्तिनाथ जी शिव अवतारी,
जालोरी में पत्थर तिरे,
पीर नाथजी पर उपकारी,
जग जालोरी निवन करे,
वरणी न जाय म्हारी नाथजी री शोभा,
ए चारो खुट दुवाएं फिरे ओ जी ओ जी।।
गायक – श्याम पालीवाल जी।
प्रेषक – मनीष सीरवी।
(रायपुर जिला पाली राजस्थान)
9640557818
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