शरणे थारे आयो हे भादवा,
माँ दरसन माने दीजो ऐ,
भगता रो हेलो सुणो ऐ भादवा,
शरणा में माने लीजो ऐ हे माँ।।
नीमच री धणियाणी भादवा,
दुखियारा दुखड़ा मिटावे हे,
लूला लंगड़ा पांवा चाले,
माँ चर्म रोग मिटावे हे,
ऐ माँ.. ओ शरणे थारे।।
नवरात्रा में मेलो लागे,
थारे घणी जातरी आवे हे,
भीड़ पड़े थारे भगता री,
माँ मन री आस पुरावे हे,
ऐ माँ.. ओ शरणे थारे।।
साचा मन सु ध्यावे मात ने,
माँ हर पल भेली आवे हे,
कारज सारे माँ भगता रा,
या विपदा आय कटावे हे,
ऐ माँ.. ओ शरणे थारे।।
योगी जोगी थारा उपासक,
वे कण्ठे नाम रटावे हे,
धरम तंवर थारा भजन सुनावे,
शरणा में थारे गावे हे,
ऐ माँ.. ओ शरणे थारे।।
शरणे थारे आयो हे भादवा,
माँ दरसन माने दीजो ऐ,
भगता रो हेलो सुणो ऐ भादवा,
शरणा में माने लीजो ऐ हे माँ।।
गायक और लेखक – धर्मेंद्र तंवर उदयपुर।
9829202569
https://youtu.be/u-cB5BqODfU