शायद मेरे बाबा को खयाल,
मेरा आया है,
इसीलिए मिलने को मुझे,
खाटु में बुलाया है,
मेरी हिचकी में बाबा का,
नाम समाया है,
इसीलिए मिलने को मुझे,
खाटु में बुलाया है।।
तर्ज – शायद मेरी शादी का।
दिल नहीं लग पाएगा अब,
रह ना पाउँगा,
बाबा मैं तो पैर नंगे दौड़ा आऊंगा,
कोई चाहे कुछ भी समझे,
हैं नहीं चिंता,
रींगस से तेरे नाम की एक,
ध्वजा उठाऊंगा,
देखेगी दुनिया बाबा का,
देखेगी दुनिया बाबा का,
प्रेमी आया है,
इसीलिए मिलने को मुझे,
खाटु में बुलाया है।
शायद मेरे बाबा को ख्याल,
मेरा आया है,
इसीलिए मिलने को मुझे,
खाटु में बुलाया है।।
तू जो बाबा साथ है,
मैं क्यूँ घबराऊँगा,
झूमते और नाचते मैं,
पैदल आऊंगा,
छोड़के संसार की चिंता,
मैं घर अपने,
प्रेमियों के संग नाम के,
जयकारे लगाऊंगा,
तुमसे मिलने को मेरा भी,
जी ललचाया है,
इसीलिए मिलने को मुझे,
खाटु में बुलाया है।
शायद मेरे बाबा को ख्याल,
मेरा आया है,
इसीलिए मिलने को मुझे,
खाटु में बुलाया है।।
आने से पहले खाटु में,
रुक ना पाउँगा,
आके तोरण द्वार पे मैं,
शीश झुकाऊँगा,
जैसे ही दर्शन मिलेगा,
होगा सफल जीवन,
धाम की पावन माटी को,
माथे लगाऊंगा,
‘नीतू’ के सर पे तो हरदम,
‘नीतू’ के सर पे तो हरदम,
तेरा साया है,
इसीलिए मिलने को मुझे,
खाटु में बुलाया है।
शायद मेरे बाबा को ख्याल,
मेरा आया है,
इसीलिए मिलने को मुझे,
खाटु में बुलाया है।।
शायद मेरे बाबा को खयाल,
मेरा आया है,
इसीलिए मिलने को मुझे,
खाटु में बुलाया है,
मेरी हिचकी में बाबा का,
नाम समाया है,
इसीलिए मिलने को मुझे,
खाटु में बुलाया है।।