शेरोवाली दा,
दरबार प्यारा लगदा,
अम्बे माँ भवानी दा,
दरबार प्यारा लगदा।।
तर्ज – खाली दिल नहीं।
ऊंचे ऊंचे पर्वत पे,
डेरा माँ भवानी दा,
बड़ा सोहणा लागे,
दरबार शेरो वाली दा,
मेहरो वाली दा,
दरबार प्यारा लगदा,
अम्बे माँ भवानी दा,
दरबार प्यारा लगदा।।
हरसिद्धि मैया,
हर सिद्धि देने वाली हैं,
गजलक्ष्मी मैया भरती,
भंडार खाली हैं,
डेरा हर दम,
सवालियो दा लगदा,
अम्बे माँ भवानी दा,
दरबार प्यारा लगदा।।
‘व्यास हरि’ भी मैया,
दर दा सवाली है,
तेरी ही कृपा से मैया,
ये खुशहाली है,
अपने लाडलो की,
लाज मैया रखना,
अम्बे माँ भवानी दा,
दरबार प्यारा लगदा।।
शेरोवाली दा,
दरबार प्यारा लगदा,
अम्बे माँ भवानी दा,
दरबार प्यारा लगदा।।
लेखक/गायक – महंत हरि भैया।
(निजमंदिर पुजारी श्री खाटूश्याम जी मन्दिर उज्जैन)
8819921122