शिरडी के रहने वाले,
कहते है तुझको साँई,
लाखो की बिगड़ी बनाई,
तूने लाखो की बिगड़ी बनाई ॥
तर्ज-दुनिया बनाने वाले क्या तेरे मन मे
श्लोक
जिस घर मे हो आरती,
चरण कमल चीत लाज,
वहाँ हरि वासा करे,
ज्योत अनंत जलाये,
जहाँ भक्त कीर्तन करे,
बहे प्रेम दरिया,
वहाँ हरी श्रवण करे,
सत्य लोक से आज,
सबकुछ दीन्हा आपने,
भेंट करूँ क्या नाथ,
नमस्कार की भेंट लो,
जोडु मे दोनो हाथ॥
शिरडी के रहने वाले कहते है तुझको साँई,
लाखो की बिगड़ी बनाई, तूने लाखो की बिगड़ी बनाई ॥
खाली ना लौटा कोई साई तेरे दर से,
मन की मूरादे मिली झोली भर भर के,
ऐसा लगाया तुने शिरडी मे मेला,
जो भी आया है उसने डाला है डेरा,
अपने भक्तो की साई तुमने लाज बचाई,
लाखो की बिगड़ी बनाई, तूने लाखो की बिगड़ी बनाई ॥
पानी से साई तुमने दिये जलाये,
अपने भक्तो को तुमने जलवे दिखाये,
तेरी शिरडी मे साई काशी और मथुरा,
तेरी शिरडी मे साई शिव का शिवाला,
शिरडी मे तुमने साई केसी रास रचाई,
लाखो की बिगड़ी बनाई, तूने लाखो की बिगड़ी बनाई ॥
तुम हो दयालु साई दया के सागर,
दया से भरदो मेरी भी गागर,
मै भी आया हूँ साई शरण तुम्हारी,
मेरी भी साई तु बिगड़ी बना दे,
तेरी किरपा हो मुझ पर मेरी है असली कमाई,
लाखो की बिगड़ी बनाई, तूने लाखो की बिगड़ी बनाई ॥