शिरडी वाले बाबा तेरे,
दर पे मै आया,
महिमा सुन कर बाबा तेरी,
दर पे मै आया,
श्रद्धा के मै सुमन चढाऊँ,
सुनले अर्जी मेरी,
तू अपनाना या ठुकराना,
आगे मर्जी तेरी,
दया कर शिरडी वाले,
कृपा कर शिरडी वाले।।
तर्ज – उड़जा काले कावा।
जिसने जो भी माँगा तुमसे,
उसने वो पाया,
सबकी इक्छा पूरी करते,
जो मन मे लाया,
पर मै न तुमसे कुछ माँगू,
इतनी अर्जी मेरी,
सेवक अपना मुझको बनाले,
हो जो मर्जी तेरी,
दया कर शिरडी वाले,
कृपा कर शिरडी वाले।।
तेरी कृपा से ही मैने,
यह नर तन पाया,
लेकिन जग फँस कर मैने,
तुमको बिसराया,
पर अब मै ध्याऊँगा तुमको,
ऐ मेरे साँई बाबा,
ले लो शरण मे मुझ अधमी को,
ऐ मेरे साँई बाबा,
दया कर शिरडी वाले,
कृपा कर शिरडी वाले।।
तुमने अपने भक्तो को प्रभू,
भव से है तारा,
दीन हीन के इस कलियुग मे,
बाबा तुम्ही सहारा,
मै भी आया दर पे बाबा,
सुन कर नाम तुम्हारा,
ज्योत जगादो घट मे बाबा,
मिट जाए अँधियारा,
दया कर शिरडी वाले,
कृपा कर शिरडी वाले।।
शिरडी वाले बाबा तेरे,
दर पे मै आया,
महिमा सुन कर बाबा तेरी,
दर पे मै आया,
श्रद्धा के मै सुमन चढाऊँ,
सुनले अर्जी मेरी,
तू अपनाना या ठुकराना,
आगे मर्जी तेरी,
दया कर शिरडी वाले,
कृपा कर शिरडी वाले।।
– भजन लेखक एवं प्रेषक –
श्री शिवनारायण वर्मा,
मोबा.न.8818932923
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