शिव पारवती के,
गोदी में खेले गणेश।
श्लोक – वक्रतुण्ड महाकाय,
सूर्यकोटि समप्रभ,
निर्विघ्नं कुरु मे देव,
सर्वकार्येषु सर्वदा।
शिव पारवती के,
गोदी में खेले गणेश,
गोदी में खेले गणेश,
गोदी में खेले गणेश,
शिव पार्वती के,
गोदी में खेले गणेश।।
सुध-बुध ज्ञान ध्यान के देवा,
नित उठ करू तुम्हारी सेवा,
पूजा करु मैं हमेश,
शिव पार्वती के,
गोदी में खेले गणेश।।
मंगल मूर्ति सदा हितकारी,
हम पर कृपा रखियो भारी,
गल में जनेऊ शेष,
शिव पार्वती के,
गोदी में खेले गणेश।।
रिद्धि सिद्धि देवण दाता,
शुभ लाभ भाग्य विधाता,
संत कहवै रे हमेश,
शिव पार्वती के,
गोदी में खेले गणेश।।
नैया मेरी डगमग डोले,
तेरे नाम पे चालक मोले,
काम पड्यो परदेश,
शिव पार्वती के,
गोदी में खेले गणेश।।
शिव पार्वती के,
गोदी में खेले गणेश,
गोदी में खेले गणेश,
गोदी में खेले गणेश,
शिव पार्वती के,
गोदी में खेले गणेश।।
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