यह शिव पुराण शिव जी की,
आरती कीजिए,
शिव चरणों में,
ध्यान अपना दीजिए।।
तर्ज – श्री भागवत भगवान की है।
देखे – ॐ जय शिव ओमकारा।
यह महाग्रंथ है शिव पुराण,
सद मार्ग दिखाने वाला,
बिगड़ी को बनाने वाला,
सुनते सुजान करते है पान,
सुनते सुजान करते है पान,
और शिव अमृत रस पीजिए,
शिव चरणों में,
ध्यान अपना दीजिए।
यह शिवपुराण शिवजी की,
आरती कीजिए,
शिव चरणों में,
ध्यान अपना दीजिए।।
झांकी अनूप कल्याण रूप,
सबके मन को यह भाये,
मन मन्दिर में बस जाए,
शिव ध्यान लगा मन को जगा,
शिव ध्यान लगा मन को जगा,
और तन मन अर्पण कीजिये,
शिव चरणों में,
ध्यान अपना दीजिए।
यह शिवपुराण शिवजी की,
आरती कीजिए,
शिव चरणों में,
ध्यान अपना दीजिए।।
चौबीस हजार श्लोकों का सार,
यह पावन ग्रन्थ कहाये,
शिव की महिमा बतलाये,
हो जा पुनीत विषयों को जीत,
हो जा पुनीत विषयों को जीत,
और तन मन अर्पण कीजिये,
शिव चरणों में,
ध्यान अपना दीजिए।
यह शिवपुराण शिवजी की,
आरती कीजिए,
शिव चरणों में,
ध्यान अपना दीजिए।।
यह शिव पुराण शिव जी की,
आरती कीजिए,
शिव चरणों में,
ध्यान अपना दीजिए।।
प्रेषक – गिरीश चन्द्र शास्त्री।