श्री राधे बसा लो वृन्दावन,
मेरे पाप हैं ज्यादा पुण्य है कम,
श्री राधे बसा लों वृन्दावन,
श्री राधे बसा लों वृन्दावन।।
विषयो की आँधी आती है,
सब पुण्य नष्ट कर जाती,
अब किसको कहूं मेरे बीते जनम,
श्री राधे बसा लों वृन्दावन,
मेरे पाप हैं ज्यादा पुण्य है कम,
श्री राधे बसा लों वृन्दावन।।
जिनकों मैं अपना कहता हूँ,
जिनके अंग संग में रहता हूँ,
वही रिश्ते बिगाड़े मेरे करम,
श्री राधे बसा लों वृन्दावन,
मेरे पाप हैं ज्यादा पुण्य है कम,
श्री राधे बसा लों वृन्दावन।।
हे सर्वेश्वरी कृपा कर दो,
करुणा करके झोली भर दो,
अब तो रखो मुझे अपनी शरण,
श्री राधे बसा लों वृन्दावन,
मेरे पाप हैं ज्यादा पुण्य है कम,
श्री राधे बसा लों वृन्दावन।।
श्री राधे बसा लो वृन्दावन,
मेरे पाप हैं ज्यादा पुण्य है कम,
श्री राधे बसा लों वृन्दावन,
श्री राधे बसा लों वृन्दावन।।
गायक – श्री राधा रमण गोस्वामीजी।
प्रेषक – शिव कुमार शर्मा
9926347650