श्री राधे प्रगट भयी बरसाने,
मंगल बजत बधाई है,
बजत बधाई है,
श्री राधे बजत बधाई है,
श्री राधे प्रगट भई बरसाने,
मंगल बजत बधाई है।।
गोपी गोप सखी सब आई,
सुनके कीरत लाली जाई,
रानी कीरत गोद खिलावे,
मंद मुस्काई है,
श्री राधे प्रगट भई बरसाने,
मंगल बजत बधाई है।।
भानु भवन की शोभा नयारी,
भूषण वसन बटत है भारी,
श्री वृषभान सुता अति सुन्दर,
वेद कहाई है,
श्री राधे प्रगट भई बरसाने,
मंगल बजत बधाई है।।
गोपी ग्वाल सब नाचे गावे,
ब्रजवासी सब मंगल गावे,
ऐसी लाली और नहीं देखी,
करत बढ़ाई है,
श्री राधे प्रगट भई बरसाने,
मंगल बजत बधाई है।।
चिर जीवो वृषभानु दुलारी,
श्री बरसानो वास सुखहारी,
राधे जू की मधुर बधाई,
‘माधव’ गायी है,
श्री राधे प्रगट भई बरसाने,
मंगल बजत बधाई है।।
श्री राधे प्रगट भयी बरसाने,
मंगल बजत बधाई है,
बजत बधाई है,
श्री राधे बजत बधाई है,
श्री राधे प्रगट भई बरसाने,
मंगल बजत बधाई है।।
स्वर – दीदी आरती शर्मा।