श्रीयादे बोलो,
दोहा – संकट हरणी मंगल करणी,
है मां कृपा निधान,
सन्ता में तुं भगतां में तुं,
और भगवत में भगवान।
श्रीयादे श्रीयादे,
श्रीयादे बोलो,
भव सूं तीर जाणो,
फिर ना वे आण वो,
श्रीयादे बोलो।।
खुद शक्ति भवानी मां,
है अवतारी,
प्रजापति कुल की मां,
है सिद्धे नारी,
शिल्पी वाली जाणो,
फिर ना वे आण वो,
श्रीयादे बोलो।।
भक्ति से पहचाणी मां,
है महा माया,
दुनिया तेरे चरणों में,
तुं राखे है छाया,
भक्ति से पहचाणो,
फिर ना वे आण वो,
श्रीयादे बोलो।।
परच्यो दीनो नवदुर्गे,
भगत प्रहलाद ने,
कर बहानों न्यावड़ो,
जीता जीव मायने,
जादुवाली जाणो,
फिर ना वे आण वो,
श्रीयादे बोलो।।
खाली जोली भरदे मां,
है जोग माया,
‘रतन’है भिखारी मां,
चरणों में आया ,
बालक मैया जाणो,
फिर ना वे आण वो,
श्रीयादे बोलो।।
गायक – पं.रतनलाल प्रजापति।
निर्देशक – किशनलाल जी प्रजापत।
मो.- 7627022556