श्रीयादे की महिमा निराली,
दोहा – कर में कुण्डल मन में माला,
लेती हरि को नाम,
ऐसी बणी भक्त मैया जी,
जो है भगवत में भगवान।
श्रीयादे की महिमा निराली,
हांड़ा बणाबां वाली,
वां म्हारी जरणी जोग माया हो जी।।
शालिग्राम की सेवा करती,
राम नाम ने भजती,
वां म्हारी जरणी जोग माया हो जी।।
तुलसी की या माला फेरे,
चन्दन तिलक लगावे,
वां म्हारी जरणी जोग माया हो जी।।
देवां की भी देव धराणी,
संत सायबा राणी,
वां म्हारी जरणी जोगमाया हो जी।।
‘रतन’ थारी महिमा गावे,
चरणां सिश नमावे,
मां म्हारी जरणी जोग माया हो जी।।
श्री यादे की महिमा निराली,
हांड़ा बणाबां वाली,
वां म्हारी जरणी जोग माया हो जी।।
गायक व रचना – पंडित रतनलाल प्रजापति।
मो.- 7627022556