श्याम बाबा,
श्याम बाबा छोड़ो नहीं,
मेरे हाथ को मेरे हाथ को,
मैं सोच सोच के हारा,
ढूंढा जग सारा,
कोई मिला ना,
तुमसा साथी दोबारा,
श्याम बाबा,
श्याम बाबा छोड़ो नही,
मेरे हाथ को मेरे हाथ को।।
तर्ज – परदेसी परदेसी जाना।
यूँ ठुकराकर श्याम,
अगर तुम जाओगे,
मेरे जैसे और कहाँ,
तुम पाओगे,
माता अहिलवती से,
क्या बतलाओगे,
कैसे हारे के साथी,
कहलाओगे,
मैं सोच सोच के हारा,
ढूंढा जग सारा,
कोई मिला ना,
तुमसा साथी दोबारा,
श्याम बाबा,
श्याम बाबा छोड़ो नही,
मेरे हाथ को मेरे हाथ को।।
कहने को तो चलता,
साथ ज़माना है,
मतलब से ही सबका,
आना जाना है,
रिश्ता तेरा मेरा,
श्याम पुराना है,
मरते दम तक,
हमको इसे निभाना है,
मैं सोच सोच के हारा,
ढूंढा जग सारा,
कोई मिला ना,
तुमसा साथी दोबारा,
श्याम बाबा,
श्याम बाबा छोड़ो नही,
मेरे हाथ को मेरे हाथ को।।
तू ही मेरी बांह,
पकड़ने वाला है,
हर संकट से,
तूने श्याम निकाला है,
अंधेरो में तू ही,
श्याम उजाला है,
कहे ‘सचिन’ तू,
कदम कदम रखवाला है,
मैं सोच सोच के हारा,
ढूंढा जग सारा,
कोई मिला ना,
तुमसा साथी दोबारा,
श्याम बाबा,
श्याम बाबा छोड़ो नही,
मेरे हाथ को मेरे हाथ को।।
श्याम बाबा,
श्याम बाबा छोड़ो नहीं,
मेरे हाथ को मेरे हाथ को,
मैं सोच सोच के हारा,
ढूंढा जग सारा,
कोई मिला ना,
तुमसा साथी दोबारा,
श्याम बाबा,
श्याम बाबा छोड़ो नही,
मेरे हाथ को मेरे हाथ को।।
Singer – Vivek Agarwal