श्याम धणी की किरपा,
जिस पर रहती है,
उसके घर में सुख की,
गंगा बहती है,
पूछ लो चाहे जाकर,
इसके भक्तो से,
मैं नही कहता,
सारी दुनिया कहती है,
श्याम धनी की किरपा,
जिस पर रहती है,
उसके घर में सुख की,
गंगा बहती है।।
तर्ज – दूल्हे का सेहरा।
प्रेम से जिसने भी,
बाबा को पुकारा है,
श्याम ने आकर,
दिया उसको सहारा है,
श्याम हवाले,
जिसकी नैया चलती है,
उसके घर में सुख की,
गंगा बहती है,
श्याम धनी की किरपा,
जिस पर रहती है,
उसके घर में सुख की,
गंगा बहती है।।
श्याम के चरणो में,
तीरथ धाम है सारे,
है यही पे स्वर्ग,
आकर देखले प्यारे,
श्याम की सूरत,
जिसके दिल में बस्ती है,
उसके घर में सुख की,
गंगा बहती है,
श्याम धनी की किरपा,
जिस पर रहती है,
उसके घर में सुख की,
गंगा बहती है।।
श्याम का भजन जहाँ,
गुणगान होता है,
उस घर का रक्षक,
तो बाबा श्याम होता है,
जिसके घर में ज्योत,
श्याम की जलती है,
उसके घर में सुख की,
गंगा बहती है,
श्याम धनी की किरपा,
जिस पर रहती है,
उसके घर में सुख की,
गंगा बहती है।।
श्याम धणी की किरपा,
जिस पर रहती है,
उसके घर में सुख की,
गंगा बहती है,
पूछ लो चाहे जाकर,
इसके भक्तो से,
मैं नही कहता,
सारी दुनिया कहती है,
श्याम धनी की किरपा,
जिस पर रहती है,
उसके घर में सुख की,
गंगा बहती है।।
गायक – पुरुषोत्तम अग्रवाल जी।