श्यामधणी मेरे खा ले खीचड़ो,
ल्याई सूँ मैं जी करकै,
ठण्डी ठण्डी रबड़ी बाबा,
आज खा ले जी भरकै।।
जल्दी आकै खाले बाबा,
और भी काम पड़या मेरा,
बापू मेरा कह कै गया है,
लाऊँ बाबा भोग तेरा,
देसी घी मैं खीचड़ो बाबा,
ल्याई सूँ मैं तर करकै,
ठण्डी ठण्डी रबड़ी बाबा,
आज खा ले जी भरकै।।
बालक सूँ मैं न्यू ना समझे,
पावैगी कमी खाने मै,
आनंद आज्या भोग लगाकै,
देर करै ना आणे मै,
मिर्च मसाले पड़े बराबर,
खाले नै तू डर तजकै,
ठण्डी ठण्डी रबड़ी बाबा,
आज खा ले जी भरकै।।
जै तू बाबा नहीं खावैगा,
बापू छों मै आवैगा,
भूखा मेरा श्याम राख दियो,
नई नई बात सुणावैगा,
मेरे आगै खाना पड़ैगा,
जाऊँ कोन्या मै धरकै,
ठण्डी ठण्डी रबड़ी बाबा,
आज खा ले जी भरकै।।
सच्ची देख भावना बाबा,
भोग लगावन आए सै,
बाबा खावै बेटी खवावै,
आनंद मंगल छाए सै,
‘राकेश कौशिक’ तेरी शरण मै,
रखियो हाथ मेरे सर पै,
ठण्डी ठण्डी रबड़ी बाबा,
आज खा ले जी भरकै।।
श्यामधणी मेरे खा ले खीचड़ो,
ल्याई सूँ मैं जी करकै,
ठण्डी ठण्डी रबड़ी बाबा,
आज खा ले जी भरकै।।
गायक – प्रिंस जैन।
7840820050
लेखक – राकेश कौशिक।