हर एक हारे का है सहारा,
सबके लिए सांवरे का है द्वारा,
जिसने भी मुश्किल में मन से पुकारा,
उसकी मदद को मेरा श्याम प्यारा,
लीले पे होके सवार आता है,
श्याम की अदालत में,
अर्ज़ी जो लगाता है,
हारी हुई बाज़ी भी,
वो प्राणी जीत जाता है।।
तर्ज – आदमी मुसाफिर है।
जो आ गया सांवरे की शरण में,
हारा कभी ना वो जीवन के रण में,
पग पग पे वो जीत ही पाता है,
श्याम की अदालत मे,
अर्ज़ी जो लगाता है,
हारी हुई बाज़ी भी,
वो प्राणी जीत जाता है।।
है जिसके संग तीन बाणो का धारी,
उसका बिगाड़ेगा क्या दुनिया सारी,
जिसका मेरे श्याम से नाता है,
श्याम की अदालत मे,
अर्ज़ी जो लगाता है,
हारी हुई बाज़ी भी,
वो प्राणी जीत जाता है।।
हाँ ये अदालत सबसे बड़ी है,
दुनिया यहाँ सर झुकाये खड़ी है,
‘संदीप’ सबको ये समझाता है,
श्याम की अदालत में,
अर्ज़ी जो लगाता है,
हारी हुई बाज़ी भी,
वो प्राणी जीत जाता है।।
Singer – Sandeep Bansal Ji