श्याम की दीवानी है राधा जितनी,
मीरा को भी मोहन से प्रीत उतनी।।
राधा की नैनो में छाए हुए,
मीरा हृदय में समाए हुए,
राधा ने गोकुल में पाया जिन्हे,
मीरा ने प्रियतम बनाया उन्हे,
श्याम कीं दिवानी हैं राधा जितनी,
मीरा को भी मोहन से प्रीत उतनी।।
राधा मगन मुरली वाला मिला,
मीरा मगन एक तारा मिला,
राधा को बिरहा की ज्वाला मिली,
तो मीरा मगन विष का प्याला मिला
श्याम कीं दिवानी हैं राधा जितनी,
मीरा को भी मोहन से प्रीत उतनी।।
सारा जगत जिनको झूठा लगा,
दोनो को प्यार अनूठा लगा,
प्रेम रस राधा ने पाया मगर,
भक्ति को रस मीरा को सारा मिला,
श्याम कीं दिवानी हैं राधा जितनी,
मीरा को भी मोहन से प्रीत उतनी।।
श्याम की दीवानी है राधा जितनी,
मीरा को भी मोहन से प्रीत उतनी।।
स्वर – प्रदीप अग्रवाल जी।